Sanskriti Day Wishes in Hindi: आज के इस लेख में आपके लिए भारत के संस्कृत दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ लेके आए है। इस तरह की भारत के संस्कृती पर अनमोल कथन आपको मिलना मुश्किल है। आप यह लेख अपने मित्रो के साथ साझा कर सकते हैं।
Sanskrit Day Wishes in Hindi

मैं एक भारतीय हूं, और मुझे पता है,
कि भारत क्या है, मैं भारतीय संस्कृति को जानता हूं,
मैं भारतीय संविधान और लोकतंत्र को जानता हूं।
गते शोको न कर्त्तव्यों भविष्य नैव चिन्त्येत,
वर्तमानने कालेन वृत्यन्ति विवक्षण।
सभी भाषाओं में सबसे मुख्य, मधुर और दिव्य देवभाषा ‘संस्कृत’ है,
उसमें भी काव्य और काव्य में भी सबसे मधुर सुभाषित वचन होते हैं।
भारतीय संस्कृति की परिचायक,
सभी भारतीय भाषा की जननी,
संसारभर की भाषाओं में प्राचीनतम,
और समृद्धतम देवभाषासंस्कृत को विश्व पटल पर पहुँचाने,
में योगदान प्रदान करे,
संस्कृत दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जब दुनिया में संस्कारो की परिभाषा लिखी जाएगी,
तो मेरे देश की तस्वीर ही इनके नजर में आएगी।
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वर,
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम।
जहां स्त्रियों का आदर होता है, वहां देवता रमण करते हैं,
जहां उनका का आदर नहीं होती,
वहां सब काम निष्फल होते हैं।
तुम दीर्घायु रहो और आरोग्य रहो,
अपने जीवन में यश प्राप्त करो,
जीवन में सफलता हासिल करो,
मैं आपको जन्म दिवस पर यही मंगलकामनाएं देता हूँ।
Sanskrit Day Quotes in Hindi
भारत एक समृद्ध परंपरा और संस्कृति वाला देश है,
जहां लोग अपनी हर बनावट में प्यार और विविधता के साथ जिते है।
अनेकता में एकता ही हमारी शान है,
इसीलिए हमारा भारत देश महान है।
सुंदर, समझने में आसान, सार्वभौमिक रूप से सहमत,
सुरुचिपूर्ण, प्रिय, सुखद, संस्कृत भाषा का मधुर भाषण न तो अस्पष्ट है और न ही कठिन।
अय निज: परो वेत्ति गणना लघुचेतसाम्,
उदारचरिताना तू वसुधैवकुटुम्बकम्।
जो भगवान के प्रति जैसी भावना (भाव) रखता है,
भगवान की मूर्ति (शक्ल – सूरत) उसे उसी प्रकार की दिखाई देती है।
गुरु ब्रह्मा है, गुरु विष्णु है,
और गुरु ही भगवान शंकर है,
गुरु हि साक्षात् परब्रह्म है,
उन सद्गुरु को प्रणाम करता हूँ।
क्षणश: कणशश्चव विद्यामर्थ च साधयेते,
क्षणत्यागें कुतो विद्या कणत्यागे कुतो धनम्।
हमारे यहाँ सुंदरता से ज्यादा ध्यान संस्कृति पे दीया जाती है क्या।
इस दिन की तरह आपका हर दिन आपके लिए मंगलकारी,
और सबसे अधिक प्रसन्नता देने वाला हो,
जन्मदिन की शुभकामनाएं।
जो दूसरों को प्रमाद करने से रोकते हैं,
स्वयं निष्पाप रास्ते से चलते हैं,
हित और कल्याण की कामना रखनेवाला को तत्त्वबोध करते हैं,
उन्हें गुरु कहते हैं।
निवर्तयत्यन्यजनं प्रमादतः स्वयं च निष्पापपथे प्रवर्तते,
गुणाति तत्त्वं हितमिच्छुरंगिनाम् शिवार्थिनां यः स गुरु निर्गद्यते।
अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरं,
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्रीगुरुवे नम।
त्वमेव माता च पिता त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव,
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देव देव।
राजा की पूजा अपने देश में ही होती है,
जबकि विद्वान की पूजा सभी जगह होती है।
नाभिषेको न संस्कार: सिंहस्य क्रियते वने,
विक्रमार्जित राज्यस्य स्वयमेव नरेंद्रता।
ओम,आसमान में शांति हो,
अंतरिक्ष में शांति हो, पृथ्वी पर शांति हो,
जल में शांति हो, औषधियो में शांति हो,
पेड़ पौधों में शांति हु, विश्व के सभी देवताओं में शांति हो,
परब्रह्म में शांति हो, सभी जगह शांति ही शांति हो,
ओम शांति शांति शांति।
इस दुनियाँ में चन्दन को सबसे अधिक शीतल माना जाता हैं,
पर चंद्रमा चंदन से भी शीतल होता हैं,
लेकिन एक अच्छा दोस्त चंद्रमा और चंदन से शीतल होता हैं।
उद्योग, साहस, धैर्य, बुद्धि,
शक्ति और पराक्रम यह छ,
गुण जिस भी व्यक्ति के पास होते हैं,
भगवान भी उसकी मदद करते हैं।
चंदन शीतल लोके चंदनादपि चंद्रमा,
चन्द्रचंद न्योमर्ध्य शीतला साधुसंगति।
ईश्वर: त्वां च सदा रक्षदु,
पुण्यकर्मणा कीर्तिमार्जय,
जीवनम् तव भवतु सार्थकं,
इति सर्वदा मुदम् प्रार्थयामहे।
भारत की संस्कृति के लिए भारतीयता का सबसे विकृत,
और सबसे बड़ा योगदान अहिंसा का सिद्धांत है।
सुंदर, समझने में आसान,
सार्वभौमिक रूप से सहमत,
सुरुचिपूर्ण, प्रिय, सुखद, संस्कृत भाषा का मधुर भाषण,
न तो अस्पष्ट है और न ही कठिन।
भारतीय संस्कृति की परिचायक,
सभी भारतीय भाषा की जननी,
संसारभर की भाषाओं में प्राचीनतम और समृद्धतम,
देवभाषासंस्कृत को विश्व पटल पर पहुँचाने में योगदान प्रदान करे,
संस्कृत दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
भारतीय संस्कृति निश्चित रूप से भारतीय दिमाग देती है,
जिसमें भारतीय वैज्ञानिक का दिमाग,
बॉक्स से बाहर सोचने की क्षमता भी शामिल है।
विद्वत्त्वं दक्षता शीलं सङ्कान्तिरनुशीलनम्,
शिक्षकस्य गुणाः सप्त सचेतस्त्वं प्रसन्नता।
गुरु के पास हमेशा उनसे छोटे आसन पे बैठना चाहिए,
गुरु आते हुए दिखे,
तब अपनी मनमानी से नहीं बैठना चाहिए।
दीघयियरोग्ययस्तु। सुयशः भवतु,
विजयः भवतु। जन्मदिनशुभेच्छा,
अर्थ आप दीर्घायु हों और आरोग्य रहें,
जीवन में यश प्राप्त करें, जीवन में जीत हाँसिल करें।
अच्छे लोग वही बात बोलते हैं,
जो उनके मन मे होती हैं,
अच्छे लोग जो बोलते हैं,
वहीं करते हैं ऐसे पुरुषों के मन,
वचन व कर्म में समानता होती हैं।
हालांकि संस्कृति और कलाओं की ऐसी समृद्ध परंपरा है,
मुझे कभी भी दक्षिण भारत में एक समारोह में प्रदर्शन करने के लिए,
आमंत्रित नहीं किया गया है।
उस महान गुरु को मेरा प्रणाम,
जिसने उस अवस्था का साक्षात्कार करना,
संभव किया जो पूरे ब्रम्हाण्ड में व्याप्त है,
सभी जीवित और मृत्य में।
धर्म को जाननेवाले, धर्म मुताबिक आचरण करनेवाले,
धर्मपरायण, और सब शास्त्रों में से तत्त्वों का आदेश करनेवाले गुरु कहे जाते हैं।
स्त्रियों को सत्कार के मौक़े पर और उत्सवों पर सदा गहना,
वस्त्र और स्वादिष्ट भोजन से संतुष्ट करना चाहिए।
प्रार्थयामहे भव शतायु: ईश्वर: सदा त्वाम् च रक्षतु,
पुण्य कर्मणा कीर्तिमार्जय जीवनम् तव भवतु सार्थकम्,
अर्थ हम आपके लंबे जीवन की प्रार्थना करते हैं भगवान हमेशा आपकी रक्षा करें।
कोई भी संस्कृति जीवित नहीं रह सकती,
यदि वह अपने की अन्य से पृथक रखने का प्रयास करे।
यथा चित्त तथा वाचो यथा वाचस्तथा क्रिया,
चित्ते वाचि क्रियांयांच् साधुनामेंकुरप्ता।
उद्यम: साहस, धैर्य, बुद्धि: शक्ति: पराक्रम,
षडेते यत्र वर्तन्ते तत्र दैव सहायकर्त।
मुझे उम्मीद है कि आपके जन्मदिन का नया साल,
आपके लिए कामयाबी और ढेरों खुशियाँ लेकर आएगा,
आप जीवन में जो कुछ भी चाहते हैं, वह सब आपको मिले,
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ।
मैं लंदन में एक एशियाई पुरुष के रूप में बढ़ रहा हूं,
इसलिए मैं खुद को ब्रिटिश के रूप में देखता हूं,
लेकिन भारत मेरी संस्कृति का हिस्सा है।
भारत मुझमें बहुत सारी अलग-अलग भावनाएँ लाता है,
मैं भारत और भारतीय संस्कृति से तब तक मोहित रहा हूँ,
जब तक मुझे याद है,
60 के दशक से बीटल्स और महर्षि महर्षि योगी के साथ।
विद्वत्व, दक्षता शील, संक्रांति, अनुशीलन,
सचेतत्व, और प्रसन्नता,
ये सात शिक्षक के गुण हैं।
सभी देवताओं से उत्पन्न हुआ,
और तीनों लोकों में व्याप्त,
वह अतुल्य तेज जब एकत्रित हुआ तब वह नारी बना।
बिना दया के किये गए काम मे कोई फल नहीं मिलता,
ऐसे काम मेँ धर्म नहीं होता जहाँ दया नहीं होती, वहाँ वेद भी अवेद बन जाता हैं।
दयाहीन निष्फल सयंत्रासति धर्मस्तु तत्र हि,
एते वेदा अवेदा: स्यु दर्या यत्र न विद्यते।
विनय का फल सेवा है,
गुरुसेवा का फल ज्ञान है,
ज्ञान का फल विरक्ति (स्थायित्व) है,
और विरक्ति का फल आश्रवनिरोध है।
अपनी आदत को बदलो भारतीय संस्कृति को नहीं।
शुभ तव जन्म दिवस सर्व मंगलम्,
जय जय जय तव सिद्ध साधनम्,
सुख शान्ति समृद्धि चिर जीवनम्,
शुभ तव जन्म दिवस सर्व मंगलम्।
हे गुरुदेव आप मेरे माता और पिता के समान है,
आप मेरे भाई और साथी है,
आप ही मेरे ज्ञान और धन है,
प्रभु, आप सब कुछ हैं।
सभी सुखी हों, सभी रोगमुक्त रहें,
सभी का जीवन मंगलमय बनें और कोई भी दुःख का भागी न बने।
ताल्लुख है मेरा उस संस्कृति से जिसकी बेटी,
अगर गुड़िया भी ख़रीदे तो दुप्पटा साथ लेती है।
संस्कृत विश्व की सबसे वैज्ञानिक भाषा है,
नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार संस्कृत,
आर्टिफिशयल इंटेलीजेंसी को नया आयाम देगी,
विश्व संस्कृत दिवस पर आत्मीय बधाई।
जिस कुल में स्त्रियां शोक में रहती है,
वह कुल शीघ्र ही बिगड़ जाता है,
और जहां प्रसन्न रहती है,
वह सदा के लिए बढ़ता जाता है।
नीचं शय्यासनं चास्य सर्वदा गुरुसंनिधौ,
गुरोस्तु चक्षुर्विषये न यथेष्टासनो भवेत्।
दोस्त, यह जन्मदिन आपके लिए मंगलकारी हो,
और आज ढेर सारी खुशियां देकर जाए,
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।
फलों से लदे हुए वृक्ष भूमि की ओर झुक जाते हैं,
गुणी लोग भी सदैव झुक जाते हैं,
किन्तु सुखी लकड़ी और मूर्ख लोग कभी झुकते नहीं हैं।
जब तक संस्कृति है तब तक आस है,
बिना संस्कृति मानवता का विनाश हैं।
विश्व संस्कृत दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं,
संस्कृत केवल स्वविकसित भाषा नही है,
इसलिए इसका नाम संस्कृत है,
संस्कृत में विश्व का कल्याण है, शांति है,
सहयोग है, और ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना है।
सुरस सुबोधा विश्वमनोज्ञा ललिता हृद्या रमणीया,
अमृतवाणी संस्कृत भाषा नैव क्लिष्टा न च कठिणा।
उस महान गुरु को नमस्कार,
जो असंख्य जन्मों के कर्मों से बंधनों को,
स्वयं जलाने का आत्मज्ञान दान दे रहा है।
जन्मदिनमिदम् अयि प्रिय सखे,
शं तनोतु ते सर्वदा मुदम्,
अर्थ हे प्रिय मित्र/दोस्त,
यह जन्मदिन आपके लिए,
हमेशा-हमेशा मंगल और खुशी लेकर आता रहे।
अकेली कन्या ही दश पुत्रों के समान है,
दश पुत्रों के लालन पालन से जो फल प्राप्त होता है,
वह अकेले कन्या के पोषण से ही प्राप्त हो जाता है।
जहा जिक्र हीरो का होगा ना,
वहाँ नाम देश के विरो का होगा।
मुझे उम्मीद है कि जन्मदिवस का साल,
आपके जीवन का सबसे अच्छा साल होगा,
आपके सभी सपने सच हों और आपकी सभी आशाएँ पूरी हों,
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ।
नमन्ति फलिनो वृक्षा नमन्ति गुणीनो जना,
शुष्क काष्ठश्व मुर्खभ न नमन्ति कदाचन।
उम्मीद करते है की, आपको यह हमारा भारत के संस्कृती पर अनमोल कथन आपको जरूर पसंद आया होगा। आप हमारा यह लेख अपने मित्रो के साथ साझा कर सकते है, और हमें कमेंट में बता सकते है आपको हमारा यह लेख कैसा लगा।