Netaji Subhas Chandra Bose Jayanti Wishes & Quotes in Hindi | सुभाष चंद्र बोस के अनमोल विचार

Netaji Subhas Chandra Bose Jayanti Wishes & Quotes in Hindi: आज के इस लेख में आपके लिए सुभाष चंद्र बोस के अनमोल विचार लेके आए है। इस तरह की सुभाष चंद्र बोस के अनमोल विचार आपको मिलना मुश्किल है। आप यह लेख अपने मित्रो के साथ साझा कर सकते हैं।

Netaji Subhas Chandra Bose Jayanti Wishes in Hindi

netaji subhas chandra bose jayanti wishes in hindi

एक व्यक्ति एक विचार के लिए मर सकता है,
लेकिन वह विचार उसकी मौत के बाद हजारों लोगों में अवतार लेगा।

तुम मुझे खून दो,
मैं तुम्हें आजादी दूंगा।

ये हमारा कर्तव्य है,
कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं,
हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आजादी मिलेगी,
हमारे अन्दर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए।

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम में से,
कौन भारत को स्वतंत्र देखने के लिए जीवित रहेंगे,
यह पर्याप्त है कि भारत स्वतंत्र होगा,
और हम उसे मुक्त करने के लिए अपना सर्वस्व देंगे।

हमें अपनी राष्ट्रीय रक्षा ऐसी अटल नींव पर करनी चाहिए,
जो हमारे इतिहास में फिर कभी न हो,
जहां हम अपनी स्वतंत्रता खो दें।

एक सच्चे सैनिक को सैन्य और उत्साही,
प्रशिक्षण दोनों की आवश्यकता होती है।

पुरुष, धन और सामग्री स्वयं जीत या स्वतंत्रता नहीं ला सकते,
हमारे पास मकसद-शक्ति होनी चाहिए,
जो हमें बहादुर कामों और वीरतापूर्ण कारनामों के लिए प्रेरित करेगी।

याद रखें कि घोर अपराध अन्याय,
और गलत के साथ समझौता करना है,
शाश्वत नियम याद रखें,
यदि आप प्राप्त करना चाहते हैं,
तो आपको अवश्य देना चाहिए।

तुम लोग मुझे अपना खून दो,
में तुम लोगों को आजादी दूंगा।

मेरे पास एक लक्ष्य है,
जिसे मुझे हर हाल में पूरा करना हैं,
मेरा जन्म उसी के लिए हुआ है,
मुझे नैतिक विचारों की धारा में नहीं बहना है।

अत्याचार करने वालों का साथ देने वाला,
उससे बड़ा अत्याचारी होता है।

अपनी ताकत पर भरोसा करो,
उधार की ताकत तुम्हारे लिए घातक है।

जब हम खड़े हों,
तब आज़ाद हिन्द फौज को,
एक ग्रेनाइट की दीवार के समान होना होगा,
जब हम आगे बढ़ें, तब आज़ाद हिन्द फौज को,
एक स्ट्रीमरोलर के समान होना होगा।

मुझे जीवन में एक निश्चित लक्ष्य को पूरा करना है,
मेरा जन्म उसी के लिए हुआ है,
मुझे नैतिक विचारों की धारा में नही बहना है।

हमेशा याद रखिए सबसें बडा अपराध,
अन्याय को सहना और सही साबित करना हैं।

भविष्य की परिस्थितियों को,
वर्तमान स्थिति में रखकर,विचार करना,
महानता का परिचय है।

केवल पूर्ण राष्ट्रवाद,
पूर्ण न्याय और निष्पक्षता के आधार पर ही,
भारतीय सेना का निर्माण किया जा सकता है।

सफलता हमेशा असफलता के स्तम्भ पर खड़ी होती है,
इसीलिए किसी को भी असफलता से घबराना नही चाहिए।

में यह नही जानता की,
इस स्वतंत्रता की लड़ाई में हम लोगों में से कौन कौन बचेगा,
लेकिन मुझे इतना पता है कि अंत में जीत हमारी ही होगी।

हर सुबह तभी निकलती है,
जब वह रात्रि का सामना करती है,
बहादुर बनकर संघर्ष जारी रखो,
स्वतंत्रता बेहद निकट है।

सफल होने के लिए आपको अकेले चलना होगा,
लोग तो तब आपके साथ आते हैं जब आप सफल हो जाते हैं।

जिस व्यक्ति में सनक नहीं होती,
वह कभी भी महान नहीं बन सकता,
परन्तु सभी पागल व्यक्ति महान नहीं बन जाते,
क्योंकि सभी पागल व्यक्ति प्रतिभाशाली नहीं होते,
आखिर क्यों ? कारण यह है की केवल पागलपन ही काफी नहीं है,
इसके अतिरिक्त कुछ और भी आवश्यक है।

राजनीतिक सौदेबाजी की कूटनीति यह है,
कि आप जो भी हैं,
उससे ज्यादा शक्तिशाली दिखें।

एक सच्चें सिपाही को सैनिक और आध्यात्मिक,
दोनों ही प्रशिक्ष्ण कीआवश्यकता होती है।

लोगों के भीतर सुसुप्त अवस्था में पड़े,
राष्ट्रवाद को पुनः जागृत करना होगा।

ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं,
हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आज़ादी मिले,
हमारे अन्दर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए।

संकट और विपदा से घबराना वीरों का कार्य नहीं है,
मैं ऐसी परिस्थितियों से किंचित विचलित नहीं होता।

मुझमे जन्मजात प्रतिभा तो नहीं थी,
परन्तु कठोर परिश्रम से बचने की प्रवृति मुझमे कभी नहीं रही।

आज की स्थिति में प्रत्येक भारतवासी के भीतर,
एक ही इच्छा होनी चाहिए,
वह है मरने की इच्छा,
जिससे वह जीवन पर्यंत भारत माता की,
स्वतंत्रता के लिए प्रयत्न करेंगे।

अच्छे विचारों से कमजोरियां दूर होती हैं,
हमें हमेशा अपनी आत्मा को उच्च विचारों से प्रेरित करते रहना चाहिए।

हमारा कार्य केवल कर्म करना हैं,
कर्म ही हमारा कर्तव्य है,
फल देने वाला स्वामी ऊपर वाला है।

आपसी द्वेष को दूर करने में हिंदी जितनी मदद कर सकेगी,
उतनी कोई अन्य भाषा नही।

जिसके अंदर ‘सनक’ नहीं होती,
वह कभी महान नहीं बन सकता।

हमारी राह भले ही भयानक और पथरीली हो,
हमारी यात्रा चाहे कितनी भी कष्टदायक हो,
फिर भी हमें आगे बढ़ना ही है,
सफलता का दिन दूर हो सकता है,
पर उसका आना अनिवार्य है।

आशा की कोई न कोई किरण जरूर होती है,
जो हमें अपने जीवन से कभी भटकने नही देती है।

अन्याय सहना और गलत के साथ,
समझौता करना सबसे बड़ा अपराध है।

इतना तो आप भी मानेंगे,
एक न एक दिन तो मैं जेल से अवश्य मुक्त हो जाऊँगा,
क्योंकि प्रत्येक दुःख का अंत होना अवश्यम्भावी है।

इस वक्त हमारे भीतर एक ही तमन्ना जागृत होनी चाहिए,
मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके,
एक शहीद की मौत मरने की इच्छा ताकि स्वतंत्रता का मार्ग,
शहीदों के लहू से देश की आजादी राह सुगम हो सके।

1921 में सुभाषचंद्र बोस सबसे पहले आय.सी.एस,
अधिकारी थे, जिम्होने पद को त्याग करके,
राष्ट्रीय स्वतन्त्रता के आंदोलन में कूदे।

मेरे देशवासी तभी खुशहाल हो सकेंगे,
उन्हें उचित स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा,
आदि मिल सकेगी जब हम स्वाधीन होंगे।

किसी भी चीज को जब हम मूल्य चुका कर प्राप्त करते हैं,
तो हम उसकी रक्षा के लिए संकल्प बद्ध होते हैं,
हमें स्वतंत्रता भी अपने खून का मूल्य चुका कर लेना होगा।

मैंने जीवन में कभी भी खुशामद नहीं की है,
दूसरों को अच्छी लगने वाली बातें करना मुझे नहीं आता।

अपनी ताकत पर भरोसा करो,
उधार की ताकत तुम्‍हारे लिए घातक है।

इतिहास में कभी भी विचार-विमर्श (बातचीत) से,
कोई ठोस परिवर्तन हासिल नही हुआ है।

कॉंग्रेस के महासचिव के रूप में सुभाषचंद्र बोस और,
पंडित जवाहरलाल नेहरू को चुना गया जिसके,
कारन इन दोनों नेताओ का आत्मबल और बढ़ा।

भारत पुकार रहा है, रक्त रक्त को पुकार रहा है,
उठो, हमारे पास व्यर्थ के लिए समय नहीं है,
अपने हथियार उठा लो, हम अपने दुश्मनों के माध्यम से ही,
अपना मार्ग बना लेंगे या अगर भगवान की इच्छा रही,
तो हम एक शहीद की मौत मरेंगे।

माँ का प्यार सबसे गहरा होता है, स्वार्थ रहित होता है,
इसको किसी भी प्रकार नापा नहीं जा सकता।

राष्ट्रवाद (देशभक्ति) मानवता के श्रेष्टतम आदर्शों सत्यम्,
शिवम्, सुन्दरम् से अभिप्रेरित है।

केवल रक्त ही आज़ादी की कीमत चुका सकता है।

एक सिपाही के रूप में आपको हमेशा,
तीन आदर्शों को सजोना और उन पर जीना होगा,
सच्चाई, कर्तव्य और बलिदान,
जो सिपाही हमेशा अपने देश के प्रति वफादार रहता है,
जो हमेशा अपना जीवन बलिदान करने को तैयार रहता है।

हम लोगों का काम केवल कर्म करना है,
कर्म ही हमारा कर्तव्य है,
फल देने वाला स्वामी तो ऊपर वाला होता है।

आज हमारे अन्दर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए,
मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके,
एक शहीद की मौत मरने की इच्छा ताकि,
स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशस्त हो सके।

मैंने अपने छोटे से जीवन का बहुत सारा समय व्यर्थ में ही खो दिया है।

आजादी मिलती नहीं,
बल्कि इसे छिनना पड़ता है।

यदि आपकों किसी के सामने कुछ समय के लिए झुकना भी पड़े,
तो वीरों की तरह झुकना।

हमारा सफर कितना ही भयानक और बदतर क्यों न हो,
फिर भी हमें आगे बड़ते ही रहना चाहिए,
सफलता का सफर लम्बा हो सकता है,
लेकिन उसका आना अनिवार्य है।

हमारे देश भारत में राष्ट्रवाद ने एक ऐसी शक्ति का संचार किया है,
जो लोंगो के अन्दर सदियों से निष्क्रिय पड़ी थी।

भारत में राष्ट्रवाद ने एक ऐसी शक्ति,
का संचार किया है जो लोगों के,
अन्दर सदियों से निष्क्रिय पड़ी थी।

जीवन के हर पल में आशा की कोई ना कोई किरण जरुर आती है,
जो हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।

आज हमारे पास एक इच्छा होनी चाहिए ‘मरने की इच्छा,
क्योंकि मेरा देश जी सके,
एक शहीद की मौत का सामना करने की शक्ति,
क्योंकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीद के खून से प्रशस्त हो सके।

अगर जीवन में संघर्ष न रहे,
किसी भी डर का सामना ना करना पड़े,
तो जीवन का आधा स्वाद ही समाप्त हो जाता है।

संघर्ष ने मुझे मनुष्य बनाया,
मुझमे आत्मविश्वास उत्पन्न हुआ जो पहले नहीं था।

देश की समस्याओं को कोई दूसरा दूर नहीं कर सकता,
उन्हें दूर करने के लिए हमें आगे आकर कार्य करना होगा।

संघर्ष की राह चलकर ही,
आत्मविश्वास की वृद्धि होती है,
देश के वीरों को आत्मविश्वास से,
भरा होना वीरता की निशानी है।

सुभास चंद्र बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के,
महान क्रान्तिकारियो में एक थे।

मुझे आपको याद दिलाना है,
कि आपको दो गुना कार्य करने हैं,
हथियारों के बल और अपने खून की कीमत पर,
आपको स्वतंत्रता हासिल करनी होगी।

आज हमारे अन्दर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए,
मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके,
एक शहीद मार्ग शहीदों के खून से प्रशश्त हो सके।

जो भी तुम कुछ करते हो यह तुम्हारा कर्म है,
इसमें किसी भी प्रकार का कोई बंटवारा नही होता है,
इसका फल भी तुम्हे ही भोगना होता है।

हमें अधीर नहीं होना चहिये,
न ही यह आशा करनी चाहिए,
कि जिस प्रश्न का उत्तर खोजने में न जाने कितने ही लोगों ने,
अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया,
उसका उत्तर हमें एक-दो दिन में प्राप्त हो जाएगा।

मैंने अमूल्य जीवन का इतना समय व्यर्थ ही नष्ट कर दिया,
यह सोच कर बहुत ही दुःख होता है,
कभी कभी यह पीड़ा असह्य हो उठती है,
मनुष्य जीवन पाकर भी जीवन का अर्थ समझ में नहीं आया,
यदि मैं अपनी मंजिल पर नहीं पहुँच पाया, तो यह जीवन व्यर्थ है,
इसकी क्या सार्थकता है ?

उम्मीद करते है की, आपको यह हमारा सुभाष चंद्र बोस के अनमोल विचार आपको जरूर पसंद आया होगा। आप हमारा यह लेख अपने मित्रो के साथ साझा कर सकते है, और हमें कमेंट में बता सकते है आपको हमारा यह लेख कैसा लगा।