Bachpan Ki Yaadein Quotes in Hindi: आज के इस लेख में आपके लिए बचपन की यादें कोट्स लेके आए है। इस तरह की बचपन की यादें कोट्स आपको मिलना मुश्किल है। आप यह लेख अपने मित्रो के साथ साझा कर सकते हैं।
Bachpan Quotes in Hindi

कितने खुबसूरत हुआ करते थे,
बचपन के वो दिन,
सिर्फ दो उंगलिया जुड़ने से,
दोस्ती फिर से शुरु हो जाया करती थी।

मुस्कुरा कर रह जाता हूँ जब भी याद आती है वो मस्ती,
और जब भी याद आती है School की वो पुरानी बस्ती।

भटक जाता हूँ अक्सर खुद हीं खुद में,
खोजने वो बचपन जो कहीं खो गया है।

कितना पवित्र था वो बचपन का प्यार,
ना भूख थी जिस्म की न था सम्पति का लालच,
थी तो बस एक दूजे के साथ की चाहत।

अधूरा होमवर्क और स्कूल ना जाने का बहाना,
पापा का डांटना, और माँ का हमेशा बचाना,

जब भी दुनिया से निराश हो जाता हूँ मैं,
तो खुद को ले जाता हूँ अपने School में,
मैं फिर तरोताजा हो जाता हूँ जाकर अपने School में।
Missing Bachpan Quotes in Hindi

यारों ने मेरे वास्ते क्या कुछ नहीं किया,
सौ बार शुक्रिया अरे सौ बार शुक्रिया,
बचपन तुम्हारे साथ गुज़ारा है दोस्तो,
ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है दोस्तो।

ना कुछ पाने की आशा ना कुछ खोने का डर,
बस अपनी ही धुन, बस अपने सपनो का घर,
काश मिल जाए फिर मुझे वो बचपन का पहर।

कहा भुल पाते है हम बचपन की बाते,
सबको याद आती है वो बचपन की बरसाते,
भीग जाते थे हम जब बारिशों में,
याद आती है वो दोस्तो की मुलाकाते।

बचपन में हर कोई इसलिए खुश होता है,
क्योंकि माँ ही बच्चे की पूरी दुनिया होती है,
जिंदगी बड़े ही अजीब तरह से बदल जाती है,
जब उसी बच्चे के लिए इस दुनिया में एक माँ होती है।

मिट चले मेरी उमीदों की तरह हर्फ़ मगर,
आज तक तेरे खतों से तेरी खुशबू न गई।

काश किसी ने बचपन में हमें School के दिनों की अहमियत बताई होती,
तो हमने बड़े होने में इतनी जल्दबाजी न दिखाई होती।
Bachpan Ki Yaadein Quotes in Hindi

बचपन की दोस्ती थी बचपन का प्यार था,
तू भूल गया तो क्या तू मेरे बचपन का यार था।

वो बचपन भी क्या दिन थे मेरे,
न फ़िक्र कोई न दर्द कोई,
बस खेलो, खाओ, सो जाओ,
बस इसके सिवा कुछ याद नही।

बिना किस्से कहानी सुने नींद ना आना,
माँ की गोद में थक हार कर सो जाना।

ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो,
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी,
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन,
वो कागज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी।

कागज की कश्ती थी पानी का किनारा था,
खेलने कि मस्ती थी दिल ये आवारा था,
कहां आ गए समझदारी के दलदल में,
वो नादान बचपन ही प्यारा था।
बड़ी चोट खायी जमाने से पहले,
जरा सोचिये दिल लगाने से पहले,
मुहब्बत हमारी नहीं रास आई,
लगी आग घर को बसाने से पहले।
Bachpan Shayari in Hindi
दादाजी ने सौ पतंगे लूटीं,
टाँके लगे, हड्डियाँ उनकी टूटी,
छत से गिरे, न बताया किसी को,
शैतानी करके सताया सभी को,
बचपन के किस्से सुनो जी बड़ों के।
बचपन में किसी के पास घड़ी नही थी,
मगर टाइम सभी के पास था,
अब घड़ी हर एक के पास है,
मगर टाइम नही है।
उस की आँखों में उतर जाने को जी चाहता है,
शाम होती है तो घर जाने को जी चाहता है,
कफ़ील आज़र अमरोहवी।
वो पूरी ज़िन्दगी रोटी,कपड़ा,मकान जुटाने में फस जाता है,
अक्सर गरीबी के दलदल में बचपन का ख़्वाब धस जाता है।
चाँदके माथेपर बचपन की चोट के दाग़ नज़र आते हैं,
रोड़े,पत्थर और गुल्लोंसे दिनभर खेला करता था,
बहुत कहा आवारा उल्काओं की संगत ठीक नहीं।
चलो, फिर से बचपन में जाते हैं,
खुदसे बड़े-बड़े सपने सजाते हैं,
सबको अपनी धुन पर फिर से नचाते हैं,
साथ हंसते हैं, थोड़ा खिलखिलाते हैं,
जो खो गयी है बेफिक्री, उसे ढूंढ लाते हैं,
चलो, बचपन में जाते हैं।
सुना है कि उसने खरीद लिया है करोड़ो का घर शहर में,
मगर आँगन दिखाने वो आज भी बच्चों को गाँव लाता है।
तेरी यादें भी मेरे बचपन के खिलौने जैसी हैं,
तन्हा होता हूँ तो इन्हें लेकर बैठ जाता हूँ।
कॉलेज के होस्टल में खूब मस्ती की,
होस्टल लाइफ को भी काफी अच्छे से जिया,
कॉलेज खत्म होने के बाद,
हर वक्त उन ”दिनों” को याद किया।
कैसे भूलू बचपन की यादों को मैं,
कहाँ उठा कर रखूं किसको दिखलाऊँ?
संजो रखी है कब से कहीं बिखर ना जाए,
अतीत की गठरी कहीं ठिठर ना जाये।
शहर भर में मजदूर जैसे दर-बदर कोई न था,
जिसने सबका घर बनाया उसका घर कोई न था।
Quotes On Bachpan in Hindi
बचपन में कितने रईस थे हम, ख्वाहिशें थी छोटी-छोटी,
बस हंसना और हंसाना, कितना बेपरवाह था वो बचपन।
बाग़ बग़िया और तितलियों का ठिकाना,
घड़े का पानी और पीपल के नीचे सुस्ताना।
बचपन के दिन भी कितने अच्छे होते थे,
तब दिल नहीं सिर्फ खिलौने टूटा करते थे,
अब तो एक आंसू भी बर्दाश्त नहीं होता,
और बचपन में जी भरकर रोया करते थे।
बचपन में आकाश को छूता सा लगता था,
इस पीपल की शाख़ें अब कितनी नीची हैं।
किसने कहा नहीं आती वो बचपन वाली बारिश,
तुम भूल गए हो शायद अब नाव बनानी कागज़ की।
जो सपने हमने बोए थे,
नीम की ठंडी छाँवों में,
कुछ पनघट पर छूट गए,
कुछ काग़ज़ की नावों में।
बंधना-बंधाना पसंद ना था,
सुनना-सुनाना पसंद ना था,
हम कितनी भी बात मनवाले,
कोई हमसे बात मनवाये पसंद ना था।
सारी उम्र कट जाती है तन्हाई और अकेलेपन में,
ऐ दोस्त, जिंदगी की असली खुशियाँ होती है बचपन में।
अब वो खुशी असली नाव,
मे बैठकर भी नही मिलती है,
जो बचपन मे कागज की नाव,
को पानी मे बहाकर मिलती है।
साइकिल से स्कूल जाते हुए मस्ती करना,
एक-दूसरे की साइकिल को खींचते हुए लड़ना,
बहुत ही हसीन वक्त था वो भी,
अब तो उन यारों से बहुत कम होता है मिलना।
बहुत ही संगीन ज़ुर्म को,
हम अंज़ाम देकर आए हैं,
बढ़ती उम्र के साए से,
कल बचपन चुरा लाए हैं।
Bachpan Ki Dosti Shayari in Hindi
माँ का आलिंगन, पापा की डाँट,
भाई बहन के साथ नटखट सा व्यव्हार।
झूठ बोलते थे फिर भी कितने सच्चे थे,
हम, ये उन दिनों की बात है जब बच्चे थे हम।
वो बचपन क्या था, जब हम दो रुपए में,
जेब भर लिया करते थे वो वक़्त ही क्या था,
जब हम रोकर दर्द भूल जाया करते थे।
ठहाके छोड़ आये हैं अपने कच्चे घरों मे हम,
रिवाज़ इन पक्के मकानों में बस मुस्कुराने का है।
बचपन में स्कूल का सिलेबस पूरा करना भले भारी लगता था हमें,
पर बड़े हुए तो जाना, जिंदगी के Questions का तो सिलेबस हीं नहीं होता।
यादे बचपन कि भूलती नहीं,
सच्चाई से हमको मिलाती नहीं,
जीना चाहते है हम बचपन फिर से,
पर शरारतें बचपन कि अब हमे आती नहीं।
स्कूल में सब होम वर्क नकल करते थे,
बेस्ट फ्रेंड के लिए दूसरे से लड़ते थे,
स्कूल की लड़ाई दूसरे दिन भूल जाते थे,
फिर सभी आपस में दोस्त बन जाते थे।
आमाल मुझे अपने उस वक़्त नज़र आए,
जिस वक़्त मेरा बेटा घर पी के शराब आया।
मोहब्बत की महफ़िल में आज मेरा ज़िक्र है,
अभी तक याद हूँ उसको खुदा का शुक्र है।
एक दिन की बात हो तो उसे भूल जाएँ हम,
नाज़िल हों दिल पे रोज बलाएँ तो क्या करें।
बहुत ही संगीन ज़ुर्म को,
हम अंज़ाम देकर आए हैं,
बढ़ती उम्र के साए से,
कल बचपन चुरा लाए हैं।
बचपन की खेल भी गजब की न्यारी थी,
कभी भट से चिढ़ जाना,
तो फिर एक पल में भी मान जाना,
न कोई रंजिश न कोई गम था,
केवल मस्ती भरी दिन थे,
और खुशीयों का साया था।
फ़िजूल की बातों पर खूब जोर से हँसना,
स्कूल जाने के नाम पर बुखार का चढ़ना,
बड़ा ही याद आता है वो धुँधला-धुँधला सा दिन,
कहाँ गया मुझे अकेला छोड़कर मेरा बचपना।
सब कुछ तो हैं, फ़िर क्यों रहूँ उदास,
तेरे जैसा मैं भी बन पाता मनमौजी,
लतपत धूल-मिट्टी से, लेता खुलकर साँस।
जिंदगी की रोज की परेशानियों से कहीं अच्छे थे वो स्कूल के दिन,
भले हम पर बंदिशें थी, फिर भी बड़े अच्छे थे वो स्कूल के दिन।
स्कूल की किताबों में मन नहीं लगता था,
पढ़ाई करने के लिए रातों को नहीं जगता था,
अब सारी-सारी रात रिसर्च पेपर पढ़ता हूं,
पर बीच-बीच में बचपन की यादों में खो जाता हूं।
अच्छाई-बुराई के बारे स्कूल में समझ आया,
तभी आज मैं एक अच्छा इंसान बन पाया,
किताबों से था मैंने दिल लगाया,
अच्छे ज्ञान की वजह से कामयाब हो पाया।
उम्र ने तलाशी ली, तो कुछ लम्हे,
बरामद हुए कुछ ग़म के थे,
कुछ नम के थे, कुछ टूटे,
बस कुछ ही सही सलामत मिले,
जो बचपन के थे।
बचपन में शौक़ से जो घरौंदे बनाए थे,
इक हूक सी उठी उन्हें मिस्मार देख कर।
उलझी शाम को पाने की ज़िद न करो,
जो ना हो अपना उसे अपनाने की ज़िद न करो,
इस समंदर में तूफ़ान बहुत आते है,
इसके साहिल पर घर बनाने की ज़िद न करो।
उम्मीद करते है की, आपको यह हमारा बचपन की यादें कोट्स आपको जरूर पसंद आया होगा। आप हमारा यह लेख अपने मित्रो के साथ साझा कर सकते है, और हमें कमेंट में बता सकते है आपको हमारा यह लेख कैसा लगा।